Tuesday, March 30, 2010

kumbh me log nahane Q jaate hai






                                yeh b dekho sali ne bra nhi pahni

                                 auty aapki bra khul gayee


                          ye dekho nangi naha rahi hai



                                 ye dekho inki b bra



                 yeh dekho buddo ko b nanga dekho


                ye dekho itni pyari ladki ne bra nhi pahani nipple dekho


      ye dekho bra pahni hai fir b hard nipple dikh rahi hai



                                         yeh dekho isko b


                            isko b jawani sujh rahi hai



                   piche wali bhabhi ke breast kitne mast hai dekho




kumb me snan karne jarur jaan swarg milta hai samajh gaye na apsaraye nangi hoke aapka swagat karegi

Monday, March 22, 2010

teacher ko choda

मेरी क्लास टीचर मधु

दोस्तों । आज मैं तुम को मेरी पहली चुदाई की बात बताता हूं।

मैं १८ साल का था और मैं उस टाइम ६' का था शरीर से लम्बा तगड़ा था। मुझे १ टीचर मधु पढ़ाती थी उस की उमर २७ - २८ साल थी पर उसको बच्चा नहीं था। उसका पति सरकारी नोकरी में था और वो काफ़ी टाइम टूर पर रहता था। मधु का पति बाहर गया हुअ था और उसको एक नये मकान की जरुरत थी वो किराये पर रहती थी। हमारे पड़ोस में एक मकान नया बना था और काफ़ी खुला और हवादार था। जब मधु ने पूछा तो मैने उस मकान का बता दिया। उसी दिन मधु मेरे साथ घर अयी और वो मकान देखने मेरी मां के साथ चली गई। मधु को मकान काफ़ी पसंद आया और किराया भी काफ़ी जायज था, सो मधु ने मकान मालिक को अगले महीने की १ तारीख को आने के लिये कहा और एडवांस किराया दे दिया। अगस्त महीने की १ तारीख को मधु अपने सामान के साथ उस मकान में शिफ़्ट कर गई।
दोस्तों यहां से असली बात शुरु होती है। मधु ने हमारे पड़ोस में आने के बाद मेरी मां से दोस्ती कर ली और मुझे एक्स्ट्रा पढ़ाई करवाने की बात कर ली बिना कोई टूशन फीस के। बस मेरी मां को क्या चहिये था। मधु ने मुझे घर पर बुलाना शुरु कर दिया और अकेले में पढ़ाने लगी।
पहले ही दिन जब मैं उसके घर गया तो देखा कि उसने लूज़ कमीज और लंहगा पहन रखा था। उसने ब्रा नहीं पहनी थी और कमीज का गला भी खुला था। मधु ने मुझे पढ़ाना शुरु किया और बीच बीच मैं वो अपनी चूचियां अपने हाथ से दबा देती, उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की गोलियां जैसे बाहर आने को हो जाती मैं उसकी इस हरकत को देख के मस्ती में भर जाता और मन कर रहा था कि मैं ही उसकी चूचियां दबा दूं पर हिम्मत नहीं हो रही थी। मेरा कुंवारा लंड तन कर सख्त हो गया था और मेरी पैंट को फ़ाड़ के बाहर निकलने को तैयार था। पर मैं मधु को कुछ कह नहीं पा रहा था। कोई २ घंटे पढ़ाने के बाद मधु ने मुझे कहा "कमल तुम अब घर जाओ और अपने परेंट्स से पूछ कर आना यहां सोने के लिये"। मैने कहा "अच्छा मैडम"।
जब मैं चलने लगा तो मधु ने कहा "कमल तुम रहने दो रुको यहीं पर। मैं ही पूछ आती हूं"। कह कर मधु ने अपना कमीज मेरे सामने ही खोल दिया और बड़बड़ाने लगी "इतना करने के बाद भी कुछ नहीं किया पता नहीं रात को क्या करेगा"
फ़िर मधु ने अपनी ब्रा पहनी और मुझे हुक लगाने को कहा । " आआआअ ह्हह्ह आआऐईईईइ "हुक लगते हुए मेरे मुंह से निकल ही गया। "कमल अगर तुम मेरी मानोगे तो इससे भी ज्यादा मजा आयेगा तुम बस यहीं मेरा इन्तजार करो और बुक खोल के बैठ जाओ।
मधु ने साड़ी पहनी और मेरे घर चली गई। कोई ३० मिनट के बाद वो वापस आयी और मेरा पैजामा और कमीज साथ ले आयी।
"कमल तेरी मां तो सिर्फ़ पैजामा दे रही थी बोली कमल रात को पैजामा और बनियान में सोता है पर मैं ही शर्ट भी ले आयी उनको शक नहीं होगा कि मैने क्या किया है" फ़िर मधु ने अपनी साड़ी उतार दी और सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़ में हो गई मेरा लंड काफ़ी तन गया और मैने मधु को हिम्मत करके कह ही दिया" मैडम १ बात कहूं - आप जब मेरे सामने कपड़े बदलती हो तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं ही आपका आदमी हूं" उसने कहा "कमल तो फ़िर तुम मेरे को औरत की तरह इस्तेमाल करो" फ़िर मैने हिम्मत कर ही ली और मधु की चूचियां पीछे से पकड़ ली और मेरा ७ इंच का लंड उसकी कमर पर लग रहा था।
मैने उसकी गर्दन पर किस किया, मधु सिसकी " ऊऊऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ूऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआह्हह्हह्हाआआआअ कमल प्लीज जोर से" मैने उसकी चूचियां जोर से दबाई और उसने अपनी कमर का पूरा दबाव मेरे लंड पर डाल दिया। मैने मधु के ब्लाउज़ को ऊपर सरका कर उसकी नंगी चूचियों को दबाया और १ हाथ उसकी सफ़ाचट चूत पर ले गया। चूत गीली थी मेरा लंड काफ़ी जोर मार रहा था। मधु ने मेरे से अलग हो कर मेरा लंड पैंट से बाहर निकाल लिया "ओईईईईईईइ माआआआआआआअ ये तो गधे का लौड़ा है मेरी चूत का तो बुरा हाल कर देगा" बस फ़िर उसने आनन फ़ानन में मेरा लौड़ा मुंह में ले लिया। क्योंकि अब तक मैने न ही मुठ मारी थी और न ही कभी किसी को चोदा था सो मेरा लंड उस के मुंह में ही झड़ गया १ जोर की पिचकारी उसके मुंह में गई। मैं सिसक रहा था वो भी पानी पी कर खिलखिला के हसने लगी और अपना वीर्य से भरा मुंह मेरे होंठों पर रगड़ने लगी मेरा लंड आधा हो गया था फ़िर से खड़ा होने लगा।
वो बिल्कुल नंगी हो गई और मेरे को भी एक दम नंगा कर लिया। फ़िर मधु मेरे को बेड पर ले गई और मैं उसके गुलाम की तरह से उसका कहना मानने लगा। बेड पर वो मेरे को बूब्स चूसने कही और मेरे लंड पर मुठ मारने लगी २ ही मिनट में मेरा लंड खड़ा हो गया। मधु ने मेरे को अपनी दोनो टांगे मेरे कंधे पर रखने को कहा और मेरा लंड अपनी गरम चूत में ले लिया। मेरा लंड उस की चूत में गया मेरे को ऐसा लगा कि किसी गरम भट्टी में मेरा लंड घुस गया है। मेरे लंड के अंदर जाते ही वो चिहुंकी आआआआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हाआआआआ। कमल मजा आ रहा है जोर से चोदो प्लीज। मैं उसको चोदने लगा। क्योंकि मैं पहली बार ही चोद रहा था और मेरा लंड काफ़ी टाइट था वो पसीने में भर गई और जोर से सिसकी भरती रही। मेरी एक चुदाई में वो ३ बार झड़ गई और फ़िर मैं झड़ा। मेरे झड़ते ही वो ढीली हो गई और वो लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी।
इस तरह मैने उसको रात में तीन बार चोदा फ़िर वो मेरे से लिपट कर सो गई।

bahan ko 5 baar choda

चचेरी बहन का कौमार्य


मैं एक मुंबई रहने वाला १९ वर्षीय युवक हूँ। यह बात उस वक्त की है जब मेरे दादाजी का देहांत हुए एक साल हो चुका था और उसी वजह से सबको गाँव जाना था। लेकिन मेरी परीक्षा के कारण मु्झे रुकना पड़ा लेकिन मेरी देखभाल के लिए किसी को तो रखना था। उसी वक्त मेरी चचेरी बहन नौकरी के कारण मुंबई हमारे पास आई हुई थी। और उसी की जम्मेदारी पे घरवाले मुझे छोड़कर गाँव चले गए।

मेरी चचेरी बहन का नाम वंदना(बदला हुआ) है। उसकी उमर २८ की थी लेकिन उसकी शादी नहीं हुई थी। ओर उस वक्त मेरी उमर १८ की थी। पाँच दिन बाद मेरी परीक्षा ख़तम हो गई।

इसी के कारण मैंने बाज़ार से ब्लू फ़िल्म की सीडी लाकर मेरे सीडी प्लेयर के नीचे छुपा दी थी। उस वक्त दोपहर का समय था। उसी वक्त एक दोस्त आकर मुझे खेलने के लिए ले गया। मेरी चचेरी बहन घर पे ही थी। न जाने कैसे सफाई करते वक्त वो सीडी उसके हाथ लग गई और उस सीडी के कवर के ऊपर नंगे फोटो भी थे।

उसी वक्त मैं घर में आ धमका, और उसके हाथ में वो सीडी देखकर दंग रह गया और घबरा के सर नीचे झुका लिया।
उसने मुझ से पूछा- ये क्या है?

मैं कुछ नहीं बोल पाया लेकिन न जाने उसकी गुस्से भरी आँखें गुलाबी होने लगी और मुझे वासना की नजर से देखने लगी लेकिन में स्तब्ध चुपचाप खड़ा था। उसने आगे बढ़कर दरवाज़ा बंद कर लिया। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था, वो मेरी तरफ बढ़ी और मुझे गले लगा के चूमने लगी।

वो मुझे १० मिनट तक चूमती रही। आखिरकार मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी, आखिर मैं भी एक मर्द हूँ, मैं भी उसे चूमता रह गया। जब मुझे होश आया तो मैंने सोचा कि अभी शाम के साढ़े पाँच बजे हैं इसीलिए मैंने उसे कहा कि ये सब उस वक्त करना ठीक नहीं है। हम दोनों रुक गए, मैंने उसे कहा कि तुम फटाफट खाना बना लो और रात को अपनी प्यास बुझायेंगे।

तो वो खाना बनाने लगी लेकिन हमारी वासना बढ़ती जा रही थी।
रात के ९ बज चुके थे। ९.३० बजे तक घर का सारा काम निपट गया। तब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया। उसने कोई विरोध नहीं किया।

फिर मैंने उसको होटों पे चूमना शुरू किया और दूसरे हाथ से दरवाज़े की कुण्डी लगा दी। अब मेरे हाथ उसके बूब्स को दबाने लगे थे। वो भी तड़प रही थी। अब मेरे हाथ उसके बूब्स से निकलकर उसकी पैंटी की तरफ बढ़ने लगे और उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाने लगा। वो गरम हो गई और मेरे ८ इन्च के लंड को सहलाने लगी।
मैंने अब उसे पूरा नंगा कर दिया और मैं भी नंगा हो गया। हम पागल हुए जा रहे थे।

अब मैं उसे लिटाकर उसकी चूत चाटने लगा, वो पागल हो रही थी और इतने में उसने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया।

अब उसकी चूत पूरी गीली थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ना शुरू किया। और देर न करते हुए मैंने अपना लौड़ा वंदना की चूत में घुसाना शुरू किया पर मेरा लौड़ा अन्दर जा ही नहीं रहा था। किसी तरह जोर लगा कर मैंने अपने लिंग का अग्र भाग ही अन्दर घुसाया।

अब उसकी चूत से खून निकलने लगा, वो दर्द से तड़पती रही लेकिन मैं रुका नहीं और अपने लंड को पलते हुए उसकी चूत में पूरा घुसा दिया और मैं उसके चूत में लंड को लगातार आगे पीछे करता रहा। अब उसे भी मज़ा आने लगा, वो भी चूतड़ उठा के मेरा साथ देने लगी।

पूरे १० मिनट बाद हम दोनों का पानी निकल गया। और उसी रात हम दोनों ने ५ बार चुदाई की।

bahan ko choda

बल्लू की बहन


बात उन दिनों की है जब मैं सर्दी के दिनों में धूप सेंक रहा था। मेरे पड़ोस की कुछ लड़कियां भी हमारे घर की छत पे धूप सेंकने आती थीं क्योंकि हमारे घर की छत पे धूप बहुत अच्छी लगती थी।

मेरा एक दोस्त, जिसका नाम बल्लू भाई है, की बहन भी धूप सेंकने हमारी छत पे ही आती थी। उसका नाम बॉबी था। गज़ब की सेक्स बॉम्ब थी वो। उसकी मस्त गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था। उसको चोदने का बहुत मन तो था लेकिन बल्लू से डर की वज़ह से कभी हिम्मत नहीं हो पाई थी। मेरी और उसकी बहुत अच्छी दोस्ती थी लेकिन शायद बल्लू भाई को हमारी ये दोस्ती पसंद नहीं थी। वो बार बार मुझे धमकी देता था कि मैं उसकी बहन से किसी तरह की दोस्ती न रखूं, लेकिन आप तो जानते हैं कि लंड की प्यास के आगे हर कोई बेबस है।

उस दिन मेरी मॉम डोक्टर के पास गई हुई थी। मैं घर पे ब्ल्यू मूवी देख रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कि कब बॉबी मेरे पीछे आ के खड़ी हो गई। वो मूवी देखने लगी। अचानक उसके हाथ से कुछ टकराया, मैने मुड़कर देखा तो बॉबी मेरे सामने थी। मैने पहले तो टीवी बंद किया, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुं।

अचानक बॉबी ने कहा- तुम तो बहुत गंदे हो।
मैंने कहा- नहीं बस टाइम पास कर रहा था।
उसने कहा- बल्लू भैया ठीक कहते हैं कि तुमसे कोई वास्ता ना रखूं, मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसी मूवीज़ भी देखते होंगे।
मैंने कहा- मूवी तो तुमने भी देखी है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- प्लीज़ मॉम या डैड से इस बारे में कुछ नहीं कहना !
जबकि मैं भी जानता था कि वो कुछ कहने वाली नहीं है। मैंने देखा कि उसने अपना हाथ छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की। मेरा हौंसला और भी बढ़ गया। मैंने उसके हाथ को धीरे धीरे दबाना शुरु किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। शायद फ़िल्म देख के वो भी गरम हो चुकी थी। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके होठों को हल्का सा चूम लिया और कहा- प्लीज़ !मॉम से मत कहना !
उसने जवाब नहीं दिया।

मैंने उसकी चूची को चूम लिया और कहा- मोम से मत कहना प्लीज़ !
उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो मस्त हो चुकी थी।
मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल दिया और उसके मोम्मे दबाने लगा। मैंने अब मोर्चा सम्भालना शुरु कर दिया था, मैंने धीरे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसकी कमीज़ और ब्रा को अलग कर दिया शायद वो मज़ा ले रही थी अब उसकी चूचियां मेरे सामने थी, मैने उसकी चूचियों को अपने मुँह मे डाल लिया।

वो तड़प उठी- नहीं समीर ये ठीक नहीं है !
मैंने उसके होठों पे अपने होठों को रखते हुये कहा- जब मज़ा आये तो सब ठीक हो रहा है।
उसने कहा- अगर बल्लू भाई को पता लग गया तो?
मैंने कहा- उसने कौन सा तुझे चोदना है जो उसे पता लग पायेगा। हम इस बात को राज़ ही रखेंगे।

और मैंने समय खराब ना करते हुये उसकी शलवार को भी अलग कर दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि बल्लू की सेक्सी बहन को आज मैं चोदने जा रहा हूं। मैंने उसकी चूचियां चूसते हुये उस की पैंटी को भी उस से अलग कर दिया। मैंने उसे ६९ पोजिशन में लिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लंड को चूस रही थी।

वाह क्या आनंद के लम्हे थे वो? वो १५ मिनट में झड़ गई लेकिन मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी बिना बालों की चूत को उंगली से सहलाना शुरु किया।

अब वो दोबारा जोश में आ रही थी। मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया और अपना ७" का लंड उसकी चूत में डाल दिया वो चीख उठी। मैंने उसके मुँह पे हाथ रख दिया ४-५ धक्के लगाने के बाद जब लंड पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसे भी मज़ा आने लगा तब मैंने हाथ हटा दिया। अब उसके मुंह से आआआआह ऊऊऊऊउह करो ! और करो ! की आवाज़ निकल रही थी। अब हम जोश में थे।

डू इट फ़ास्ट, डू इट फ़ास्ट, फ़क मी, फ़क मी, फ़क मी की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था। मैंने २० मिनट तक उसको चोदा। हम दोनो खुश थे। उसके बाद वो कहने लगी- तुमने अपना वीर्य तो चखाया ही नहीं?

तो मैंने कहा- उसमें क्या बड़ी बात है और फ़िर मेरा लंड उसके मुँह में था। एक बार फ़िर वो मेरा लंड चूस कर मज़ा ले रही थी। सच बताऊँ तो दोस्तो जितना मज़ा बल्लू भाई की बहन को चोद कर आया उतना मज़ा ज़िंदगी में कभी भी नहीं आया। गज़ब का नशा है उसकी चूत में। उस दिन के बाद मैंने कई बार बल्लू की बहन को चोदा। और बल्लू आज भी इस बात से बेखबर है।

padosan ko choda

पड़ोसन को चोदा


मैं बचपन से ही लड़कियों और आंटियों से शरमाता था। मेरे पड़ोस में एक नई लड़की पायल आई हुई थी। उसकी उमर भी १९-२० के आस पास होगी, देखने में वो एकदम मस्त थी। जब मैंने उससे पहली बार देखा था तो तभी से उसे चोदने की सोचने लगा। उसे देखते ही मेरा लण्ड खडा हो जाता था। आख़िर में भगवान ने मेरी सुन ही ली। मेरे घर के सारे लोग सर्दियों की छुट्टी में गाँव चले गए। मेरे पेपर चल रहे थे सो मैं नहीं गया। खाना खाने के लिए पड़ोस में बोल गई थी मेरी मम्मी।

एक दो दिन तो सब कुछ सामान्य रहा।
तीसरे दिन दोपहर को वो घर में अकेली थी। मैं दोपहर का खाना खाने के लिए उनके घर गया। उसने खाना लगा दिया, मैंने कहा- तुम नहीं खाओगी क्या?

तो वो बोली- मैं पहले नहा कर फिर खाना खाऊँगी ! और वो नहाने चली गई। मुझे पेट की नहीं चूत की भूख लग रही थी सो मैं भी उसके पीछे हो लिया।

मैंने बाथरूम के दरवाज़े के छेद से देखा- उसने एक-एक करके सारे कपड़े उतार दिए।
मेरे शरीर में अजीब सा करंट दौड़ गया। यह सब देख कर मुझे मजा आ रहा था और डर भी लग रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए। मेरा लण्ड एक दम ९० डिग्री पर सीधा खडा हो गया था और ऐसा लग रहा था कि पैन्ट को फ़ाड़ कर बाहर निकल आएगा। कुछ देर बाद पायल ने कपड़े पहनने शुरू कर दिए। मैं जल्दी से आकर खाने के पास बैठ गया।

नहाने के बाद पायल एकदम परी की तरह लग रही थी। उसने पूछा कि तुमने अभी तक खाना क्यों नहीं खाया?

मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था। उसकी निगाह उस पर पड़ गई। मैं अब उससे नज़र नहीं मिला पा रहा था। मैंने बात बदलते हुए कहा कि दोनों मिलकर खाना खा लेते हैं।
पर वो मेरा लण्ड खडा देख कर मुझसे मज़े लेना चाहती थी।

पर पहल मेरी तरफ से हो, इसके लिए उसने कहा कि खाना ठंडा हो गया हैं, तुम इसे गरम कर लाओ, मैं अभी नहा कर आई हूँ।
मैं अपने लण्ड को दुबका कर बिठा था। पायल बोली- यह क्या छुपा रहे हो?
मैं पूरी तरह झेंप गया था। मैंने कहा- कुछ नहीं !
तो वो बोली- यह छुपाने के लिए नहीं होता !
इतना कहते ही मैंने उसे पकड़ लिया और किस करने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा।

धीरे -२ उसे भी मज़ा आने लगा। वो मेरे लण्ड को हाथ से सहलाने लगी। हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े एक-२ करके उतार दिए। मैंने जैसे ही उसकी चूत में ऊँगली की, उसके मुँह से उह आह उह्ह आह्ह्ह की आवाजें निकलने लगी। मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे मैं चोदने के सपने देखता था, आज उसे चोद रहा हूँ।

वो पूरे जोश में आ गई थी और तेज़-२ बोल रही थी- चोद दो मु्झे आज ! जी भर कर चोदो !
मैंने भी लण्ड उसके छेद पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया !
लण्ड का सुपारा अंदर जाते ही वो ज़ोर से चिल्लाई और बोली- थोड़ा धीर करो !
मैंने उसकी एक ना सुनी और एक और जोरदार धक्का लगते हुए लण्ड को पूरा घुसेड़ दिया

उसकी चूत में।
फिर धीरे-२ धक्के लगाने शुरू किए। अब वो भी गांड हिला कर मेरा साथ दे रही थी।
२०-३० धक्कों के बाद वो और मैं दोनों झड़ गए।

मुझे पहली बार एहसास हुआ कि पृथ्वी पर स्वर्ग सिर्फ़ चूत मारने में हैं।
इंजीनियरिंग छात्रा की चुदाई

मेरी उम्र २४ साल है अच्छी सुडौल शरीर है और सुंदर लड़कियां देखते ही मेरा मन उन पर फिसल जाता है।

दरअसल हुआ यूँ कि मैं एक दिन अपने कुछ दोस्तों के साथ शाम के वक्त क्रिकेट खेल रहा था। ग्राउंड के ठीक बाएँ हाथ पर कोने पर एक काफ़ी शॉप है। उसके सामने कुछ लड़कियाँ खड़ी लगातार मेरी ओर देखे जा रही थी और आपस में बात भी कर रही थी (शायद मेरे बारे में)

मेरे दोस्त बार बार मुझ पर ताने कस रहे थे। इसी बीच उनकी तरफ़ गेंद चली गई और मैं गेंद उठाने के लिए उनकी तरफ़ चला गया। लड़कियाँ इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी और शायद टयूशन पढ़ने के लिए यहाँ आई हुई थी। टयूशन सेंटर साथ में ही था और वो शायद किसी और सहेली का इंतज़ार कर रही थी।
उनमें से ठीक एक के पैरों में गेंद जा कर गिरी, उसके एक स्कर्ट और टॉप पहना था और स्लीव लेस जैकेट पहनी हुई थी। बला की खूबसूरत लग रही थी और रंग संगमरमर की तरह गोरा था। उसकी गोरी गोरी टांगों के पास गेंद जाते ही मेरा मन मचला मगर मैंने उससे कहा- मैडम क्या आप गेंद उठा कर दे देंगी प्लीज़?

वो झुकी और झुकते ही उसकी गोरी छाती दिखाई देने लगी। उसने गेंद मेरी तरफ़ फेंक दी पर मेरी निगाहें उस पर ही टिकी थी। तब तो वो चली गई लेकिन मैं उसके टयूशन से लौटने का इंतज़ार करने लगा। हुआ वही ! वो वापिस आई अपने सहेलियों के साथ। कुछ दूर मैंने उसका पीछा किया लेकिन उसके बाद उसके सहेलियां दूसरे रास्ते पर चली गई और वो अकेली आगे बढ़ कर रिक्शा को हाथ देने लगी।

मैंने बाईक तुंरत उसके सामने रोकी और सामने जाकर हल्की सी मुस्कान देकर मैंने कहा- कैन आई गिव यु अ लिफ्ट?

उसने मुझे पहचान लिया और वो भी थोड़ा मुस्कुरा दी लेकिन फ़िर भी मेरे साथ जाने से मना करने लगी। मैंने बार बार उससे आग्रह किया तो वो मान गई और मैंने उसके घर पर उसे छोड़ा। रास्ते में जब उसके बूब्स मेरी कमर पर लग रहे थे तो मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था उससे मैंने उसका नंबर भी रास्ते में ही ले लिया।

रात को मैंने उससे फ़ोन पर खूब बात की और अगले दिन फ़िर उसे छोड़ने के लिए चला गया। आज उसने मुझे चाय का न्योता दिया, मैंने भी हाँ कर दी। घर में अन्दर घुसा तो वहां केवल उसके एक सहेली ही थी। दरअसल वो पेईंग गैस्ट रहती थी। उसने अपने सहेली से मेरा परिचय करवाया और फ़िर उसके सहेली किसी काम से बाज़ार चली गई।

ओह ! मैं आपको मेरी अप्सरा का नाम बताना तो भूल ही गया, उसका नाम था मीनू !

मीनू चाय बना कर ले आई और मेरे साथ बैठ गई। आज भी उसने स्कर्ट और टॉप ही पहने थे, लेकिन आज वाली स्कर्ट कुछ छोटी थी इसलिए जब वो बैठी तो मुझे उसके गोरी टांगों के साथ साथ उसकी जांघें भी दिखाई दे रही थी। हम कुछ बातें करने ही लगे थे कि मैंने सामने मेज पर रखा अखबार उठाने की कोशिश की और अनजाने में मेरा कोहनी उसके हाथ से टकरा गई और उसकी चाय उस पर गिर गई। 
चाय कुछ टॉप पर और कुछ स्कर्ट पर गिरी थी। वो जलन के मारे उठ कर खड़ी हो गई और तड़पने लगी। मैं भी घबरा गया और मैंने तुंरत उसका टॉप को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया, उसने बिल्कुल मन नहीं किया क्योंकि उसको बहुत जलन हो रही थी। उधर जांघों की भी हालत ऐसी ही थी, इसलिए वो बार बार पैर पटक रही थी। तो मैंने स्कर्ट भी उठा दी और उसे बाथरूम में ले गया ताकि उस पर पानी डाल सकूँ।

मैं अपने हाथ में पानी लेकर पहले उसके पेट पर और पेट से कुछ ऊपर और फ़िर स्कर्ट को पूरी तरह से उठा कर उसकी टांगों पर और जाँघों पर पानी डाल रहा था। वो इस बीच केवल हल्के हल्के रो रही थी। यह सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे वो कोई छोटी बच्ची हो और मैं उसे बहला रहा हूँ और शर्म-हया जैसी कोई बात हमारे बीच में हो ही न।

अब मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हारे पास बर्नोल या कोई और क्रीम है?
तो उसने कहा- हाँ है !
मैंने क्रीम उससे ली और उससे कहा- अपनी टॉप उतार दो मैं क्रीम लगा देता हूँ।

मेरा मन अब बेईमान हो चुका था। पहले तो वो झिझकने लगी मगर फ़िर मान गई। मैंने उसे मसलना शुरू किया और धीरे धीरे हाथ ऊपर ला कर उसकी गुलाबी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुचियों को भी छेड़ देता। उसे भी शायद मज़ा आ रहा था।
कुछ देर में उसने कहा- रोहित ! तुम करना क्या चाहते हो?

मैं समझ गया कि उसके कहने का मतलब क्या है, मैंने कहा- वही जो तुम समझ रही हो।

उसने कहा- तो फ़िर खुल के करो ना !
अब क्या था, मैंने काम शुरू कर दिया और सीधे उसके होठों पर किस कर दिया और उसके होठ चूसने शुरू कर दिए। उसका चेहरा लाल हो गया था। मेरे हाथ उसकी चूचियां मसल रहे था और अब मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। क्या गज़ब का फिगर था उसका ! चुचियाँ एकदम गोल और संतरे जैसी एक दम टाइट !

मैंने उसकी चुचियों को पीना शुरू कर दिया और वो मज़े से आह उह करने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे बालों में थी और वो बस गरम हो रही थी। मैंने तुंरत नीचे खिसक कर उसकी स्कर्ट बिल्कुल ऊपर कर दी और उसकी पैन्टी नीचे खींच दी। उसने मेरा मदद करते हुए अपनी पैंटी को टांगों से अलग करके फेंक दिया और अब वो बिल्कुल पूरी तरह से मेरे हवाले थी।

उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे जो बहुत खूबसूरत लग रहे थे। मैंने तुंरत उसकी चूत पर जीभ लगा दी और चूसना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल मचल उठी। मीनू ने झटके से मेरा सर ऊपर उठाया और मेरा टी-शर्ट उतारने की कोशिश करने लगी। मैंने देर न करते हुए तुंरत अपनी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया।

मेरा लंड देखते ही वो मानो डर सी गई और कहने लगी- तुम इसे मत डालना प्लीज़ !

मेरे लंड का साइज़ ८ इंच है जो लगभग ३ इंच से ज़्यादा मोटा है। मैंने उसे थोड़ा सा प्यार किया उसके होठों पर दोबारा किस करना शुरू किया और इस बीच उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया और उससे खेलने लगी। थोड़ी ही देर में वो मस्त हो चुकी थी और मैंने उसकी टांगें खोल कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर लगा दिया।

उसकी चूत एक दम फ्रेश थी इसलिए लंड आसानी से जा नहीं रहा था। मैंने बहुत सारा थूक लेकर लंड पर और उसकी चूत पर लगाया और लंड को एक ज़ोरदार धक्का दिया और लंड अन्दर घुस गया लेकिन अभी भी लंड पूरा अन्दर नहीं गया था। वो दर्द के मारे चिल्ला उठी और बस यही कह रही थी- रोहित प्लीज़ ! ये मत करो रोहित ! मैं मर जाउंगी रोहित ! मेरा चूत फट जायेगी रोहित ! प्लीज़ मत करो रोहित !

लेकिन मैने लंड बाहर नहीं निकाला और थोड़ी देर रुका रहा। जब वो कुछ सामान्य हो गई तो मैंने धीरे धीरे लंड हिलाना शुरू किया और उसके बाद उसे भी कुछ मज़ा आने लगा। मैंने उसे लगभग १५ मिनट तक खूब चोदा और इस दौरान वो ३ बार झड़ चुकी थी और अब मेरा भी पानी निकलने वाला था।

मैंने तुंरत लंड बाहर निकाला और उसके मुंह के पास ले गया और उससे मुंह में लेने को कहा। वो मना करने लगी लेकिन फ़िर भी मैंने लंड उसके होठों पर लगा दिया तो वो मुंह में लेने लगी और फ़िर मेरा सारा पानी पी गई। उसके बाद उसने मेरा लंड खूब चूसा और मैंने उसे उसी दिन २ बार और भी चोदा।

अब भी हमारी कहानी जारी है और मैं उसे बाईक पर उसके घर छोड़ने के लिए जाता हूँ और जिस दिन भी मौका होता है उसे खूब चोदता हूँ !

bhavya ki chudai

ह मेरी पहली कहानी है।

उस दिन मुझसे यह यह सब कैसे हुआ, किन हालातों में हुआ, मैं इससे बिलकुल अनजान था।

बात कुछ ही दिन पुरानी है, भव्या से मेरी पहली मुलाकात तब हुई थी जब मैं बी ए प्रथम में था। मैं उसे शुरू से ही पसंद करता था। शायद वो भी मुझे पसंद करती थी। उसके पापा भी मेरे पापा के अच्छे मित्र हैं इसलिए अंकल भी मुझे अच्छे से जानते थे।

पिछले महीने ही हमारी अर्धवार्षिक परीक्षा समाप्त हुई हैं
२७ नवम्बर को हम (मैं, भव्या, रोहित, आशीष, अनुज, नीतिश, के के) लोगों ने पार्टी रखी थी।

हम सब लोग सही समय पर पहुच गए थे। भव्या आज कुछ ज्यादा ही सुन्दर लग रही थी। उसके कसे हुए बूब्स वाकई में बहुत अच्छे लग रहे थे। मैं तो बार बार उन्हीं को देख रहा था। शायद वो समझ गयी थी कि मैं उसके बूब देख रहा हूँ।

खैर हम लोगों की पार्टी रात १० बजे तक चली। खूब मज़ा किया हम सबने !गाड़ी सिर्फ मेरे पास ही थी इसलिए सबको घर छोड़ने मुझे ही जाना था। आखिर में सिर्फ मैं और भव्या ही रह गए थे।
मैंने गाड़ी उसके घर की तरफ मोड़ दी।

जैसे ही मैंने उसको उसके घर पर उतारा तो वो बोली-अन्दर आ जाओ !
मैंने मना तो बहुत किया पर वो मुझे अन्दर ले ही गई। शायद उसका मन भी चुदने का था।

फ़िर धीरे से उसने मुझे अपने पास बिठाया और मुझसे बातें करने लगी।
सच में, मादरचोद, उसकी चूचियाँ देखकर तो मेरे मुँह में पानी आ गया। उसने मुझे देख लिया और बोली- स्वप्निल ! तुम मुझे पसंद करते हो ना?
मैंने भी हाँ कह दिया।

वो बोली- मैं तो कबसे तुमसे अपने को चुदवाना चाहती हूँ, पर कभी मौका ही नहीं मिला ! आज प्लीज़ !मेरी प्यास बुझा दो !
मैंने मन ही मन कहा- नेकी और पूछ पूछ !

मैंने भी ठीक पलटवार करते हुए कहा- भव्या ! तुम तो ना जाने कितनी बार मेरे सपनों में चुद चुकी हो ! आज पहली बार असल में मौका मिला है, मैं इस मौके को हाथ से जाने नहीं दूंगा।

फ़िर मैंने आव देखा ना ताव ! उसकी चूचियों पर हाथ रख कर उन्हें पकड़ लिया। सच में मज़ा आ गया।
क्या स्तन थे नरम नरम !

लेकिन वो भी कम नहीं थी, उसने मेरी तीसरी टांग को पकड़ लिया था। इससे पहले मैं कुछ करता, वो मेरी ज़िप खोल चुकी थी और मेरा लण्ड चूस रही थी।

वाकई में क्या मज़ा आ रहा था !
दस मिनट तक लण्ड चुसवाने के बाद मैंने उसकी ब्रा को खोल कर उसके सेक्सी बूब्स को आज़ाद कर दिया।

कैसी मासूमियत के साथ हिल रहे थे वो !
फ़िर मैंने उसके सारे कपड़े उतार कर फ़ेंक दिए।

उसकी हल्के बालों वाली बुर देख कर तो मैं उस पर टूट पड़ा।
वो अब सिसकियाँ ले रही थी और गर्म हो रही थी।

फ़िर मैंने अपना ७.६ इन्च लम्बा लण्ड उसकी बुर में डाल दिया।

शुरूआत में थोड़ा खून जरूर निकला पर ५ मिनट बाद सब ठीक हो गया।
उसको कुतिया बना कर मैं चोदे जा रहा था। १५ मिनट तक उसकी बुर मार मार कर उसकी फ़ाड़ डाली मैंने। फ़िर उसने पानी छोड़ दिया।
लेकिन मैंने उसकी गाण्ड को फ़िर मारा और १० मिनट के बाद अपना लावा उसके बूब्ज़ पर डाल दिया।

फ़िर मैंने उसको एक लम्बा चुम्बन दिया और मैं अपने घर लौट आया।